समास – परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

समास(samas) का शाब्दिक अर्थ ‘सक्षेपिकरण’ है। समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है। जिन प्रतियोगी परीक्षाओं में हिन्दी विषय से प्रश्न पूछे जाते है उनमें समास के संबधित अनेक प्रश्न संमलित होते है अतः यदि आप किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो आपको सभी समास का गहन अध्ययन अनिवार्य है। हमने आपके लिए इस विषय के समस्त महत्वपूर्ण बिन्दुओ को सरल रूप में उल्लेखित किया है।

समास की परिभाषा

दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर मेल से बने हुए एक स्वतंत्र नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते है।  समास में दो पद होते है। – (1) पूर्वपद (2) उत्तरपद

समास से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्दबली

  • सामासिक शब्द / समस्त पद – समास विधि से बना नया शब्द सामासिक शब्द कहलाता है।
  • समास विग्रह – समस्त पद / सामासिक शब्द का विस्तृत रूप
  • पूर्वपद – समस्त पद / सामासिक शब्द का पहला पद
  • उत्तरपद – सामासिक शब्द का दूसरा पद   
  • प्रधान खंड – जिस शब्द पर सामासिक शब्द का अर्थ निर्भर है।
  • उपप्रधान / गौण खंड – जिस शब्द का सामासिक शब्द में कम अर्थ हो।

समास के भेद

प्रधानता के आधार पर समास के चार भेद है। संस्कृत में द्विगु तथा कर्मधारय को अलग- अलग भेद माना गया है लेकिन हिन्दी में इसकी चर्चा तत्पुरुष समास के अंतर्गत की जाती है।

  1. अव्ययीभाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. बहुव्रीही समास
  4. द्वन्द्व समास
  5. कर्मधारय समास
  6. द्विगु समास

अव्ययीभाव समास

अव्ययीभाव समास की परिभाषा – जिस समस में पूर्वपद अव्वय हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते है। यह वाक्य में क्रिया-विशेषण का कार्य करता है,

अव्ययीभाव समास का उदाहरण

यथाक्रम = क्रम के अनुसार

अनुरुप = रुप के योग्य

प्रतिदिन = प्रत्येक दिन / दिन दिन

भरपेट = पेट भर

यथासंभव = जैसा संभव हो

आमरण = मरण तक

द्वन्द्व समास

द्वन्द्व समास की परिभाषा – जिस सामासिक शब्द के दोनों पद प्रधान होते है तथा मध्य योजक चिन्ह (-) होता है तथा विग्रह करने पर ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ लगता है वह द्वन्द्व समास कहलाता है।

द्वन्द्व समास का उदाहरण

माता-पिता = माता और पिता

भाई-बहन = भाई और बहन

अमीर-गरीब = अमीर और गरीब

गंगा-यमुना = गंगा और यमुना

नर-नारी = नर और नारी

राधा-कृष्ण = राधा और कृष्ण

बहूव्रीही समास 

बहूव्रीही समास की परिभाषा – जिस सामासिक शब्द के दोनों पद अप्रधान हो और समस्तपद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो, उसे बहूव्रीही समास कहते है।

बहूव्रीही समास का उदाहरण

सरोज = सरोबर में जन्म लेने वाला (कमल)

नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका आर्थत् शिवजी

गिरिधर = गिरि को धरण करने वाला (कृष्ण जी)

विषधर = विष को धरण करने वाला (सर्प)

चतुर्भुज = चार भुजायें है जिसकी (विष्णु जी)

लम्बोदर, पीताम्बर, त्रिलोचन, मृत्युंजय आदि

द्विगु समास

द्विगु समास की परिभाषा – जिस सामासिक शब्द का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते है।

द्विगु समास का उदाहरण

पंचवटी = पाँच (वट) वृक्षों वाला स्थान

त्रिवेणी = तीन वेणियों का समाहार

त्रिलोक = तीन लोकों का समूह

चौराहा = चार राहों का समूह

तिरंगा = तीन रंगों का समूह

शताब्दी, त्रिफला, पंचनन्द, नवरत्न, सप्तदीप इत्यादि

तत्पुरुष समास

तत्पुरुष समास की परिभाषा – जिस समास में पूर्वपद विशेषण होने के कारण गौण तथा उत्तरपद विशेष्य होने के कारण प्रधान होता हैवहाँ तत्पुरुष समास होता है। दोनों शब्दों के बीच परसर्ग का लोप होता है। परसर्ग के आधार पर तत्पुरुष समास के छः भेद है।

  1. कर्म तत्पुरुष – इसमें “को” का लोप होता है। जैसे – मतदाता = मत को देने वाला, स्वर्गवास = स्वर्ग को प्राप्त यश प्राप्त, रथचालक, सर्वप्रिय, जनप्रिय, गगनचुम्बी इत्यादि
  2. करण तत्पुरुष – जहाँ करण-कारक चिन्ह का लोप हो, जैसे – जन्मजात = जन्म से उत्पन्न, मनचाहा = मन से चाहा, हस्तलिखित, प्रेमातुर, भुखमरा, मुहमाँगा, गुणहीन आदि
  3. सम्प्रदान तत्पुरुष – इसमें “के लिए” विभक्ति का लोप होता है, जैसे- रसोईघर = रसोई के लिए घर, मार्गव्यय = मार्ग के लिए व्यय, सत्याग्रह, युद्धभूमि, हथकड़ी, पुत्रशोक, देशभक्ति, चिकित्सालय, पुण्यदान आदि
  4. अपादान तत्पुरुष – जहाँ अपादान कारक चिन्ह का लोप हो, जैसे- देशनिकाला = देश से निकाला, धनहीन = धन से हीन, ऋणमुक्त, भयभीत, जन्मांध इत्यादि
  5. सम्बन्ध तत्पुरुष – इसमें “का”, की के विभक्ति का लोप होता है, जैसे- प्रेमसागर = प्रेम का सागर, गंगाजल = गंगा का जल,राजपुत्र, विद्यासागर, शिवालय, सचिवालय, भारतरत्न देवमूर्ति इत्यादि
  6. अधिकरण तत्पुरुष – इसमें “में/पर” विभक्ति का लोप होता है, जैसे – पुरुषोत्तम = पुरुषों में उत्तम, आपबीती = आप पर बीती, लोकप्रिय, शोकमग्न, आत्मविश्वास, नीतिनिपुण इत्यादि  

कर्मधारय समास

कर्मधारय समास की परिभाषा – जिस सामासिक शब्द का उत्तरपद विशेष्य हो और पूर्वपद विशेषण हो, वह कर्मधारय कहलाता है।

कर्मधारय समास का उदाहरण

महादेव = महान देवता,

नीलगाय = नीली है जो गाय,

महात्मा =  महान है जो आत्मा

अधपका = आधा है जो पका

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