हिन्दी विराम चिन्ह Viram Chinh in Hindi
वाक्य के सुंदर गठन और भावभिव्यक्ति कइ स्पष्टता के लिए विराम चिन्ह (Viram Chinh) की आवश्यकता और उपयोगिता मानी गई है।
विराम चिन्ह किसे कहते है
लेखक के भावों और विचारों को स्पष्ट करने के लिए जिन चिन्हों का प्रयोग वाक्य अथवा वाक्यों में किया जाता है, उन्हें ‘विराम चिन्ह’ कहते है।
विराम चिन्ह की परिभाषा
विराम चिन्ह का शाब्दिक अर्थ होता है – ठहराव। लेखन मनुष्य के जीवन की एक विशेष मानसिक अवस्था है। लिखते समय लेखक यों ही नही सरपट दोड़ता, बल्कि कही थोड़ी देर के लिए रुकता है, ठहरता है और कभी पूरा विराम लेता है। इसी कारण लेखनकार्य में विराम चिन्हों का प्रयोग करना पड़ता है। यदि इन चिन्हों का उपयोग न किया जाए तो भाव अथवा विचार की स्पष्टता में बाधा पड़ेगी। पाठक के भावबोध को सरल और सुबोध बनाने के लिए विराम चिन्हों का प्रयोग होता है।
हिन्दी में प्रयुक्त प्रमुख विराम चिन्ह (Hindi Viram Chinh)
- अर्द्धविराम ( ; ) (Semicolon)
- पूर्णविराम (। ) (Full Stop)
- अल्पविराम ( , ) (Comma)
- योजक चिन्ह (-) (Hyphen)
- प्रश्नवाचक चिन्ह (?) Sing of Interrogation)
- विस्मयादिबोधक चिन्ह (!) Sing of Exclamation)
- उद्धरण चिन्ह (” “) (Inverted Comma)
- कोष्ठक चिन्ह ( ), { }, [ ] (Bracket)
Viram Chinh With Example
पूर्णविराम चिन्ह
पूर्णविराम चिन्ह का प्रयोग प्रत्येक वाक्य के अंत में किया जाता है। इसका अर्थ पूर्णतः रुकना होता है। जब किसी वाक्य का अंत हो रहा होता है तब पूर्णविराम चिन्ह प्रयोग में लाया जाता है। जैसे-
- राम खेलता है।
- रीता गाती है।
जब किसी वाक्य में किसी वस्तु या व्यक्ति की सजीवता का वर्णन हो वहाँ पूर्णविराम चिन्ह का प्रयोग होता है। जैसे-
- सुंदर शरीर
- सुदृढ़ काया
- चमकती आखें
- चंचल चितवन
अर्द्धविराम चिन्ह
यदि एक वाक्य या वाक्यांश के साथ दूसरे का दुर का सम्बन्ध बताना हो तो वहाँ अर्द्ध विराम चिन्ह का प्रयोग होता है। किसी वाक्य में प्रयुक्त मुख्य उप वाक्यों में कोई सम्बन्ध न हो तब वहाँ अर्द्धविराम चिन्ह लगाकर उन्हें प्रथक किया जाता है। जेसे-
- यदि आप मेरी सहायता करेंगे; तो मे सदेव आपका ऋणी रहूँगा।
- उसने परीक्षा में पास होने के लिए बहुत परिश्रम किया; परंतु वह फेल हो गया।
अल्पविराम चिन्ह
अल्पविराम का अर्थ अल्प समय के लिए या थोड़ी देर के लिए ठहरना होता है। अल्पवरम चिन्ह हिन्दी में सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला चिन्ह है। अल्पविराम चिन्ह के प्रयोग की निम्नलिखित परिस्थितियाँ हो सकती है।
(1)- वाक्य में जब दो या दो से अधिक समान पदों, पदांशों अथवा वाक्य में सयोजक अव्यय ‘और’ की गुंजाइश हो तो वहाँ अल्पविराम का प्रयोग होता है।जैसे-
- कपिल, पूजा, राम और मोहन सक साथ स्कूल गए।
- वह प्रतिदिन कार्यालय जाता है, कार्य करता है और वापस घर आ जाता है।
- छोटा, हल्का, और साफ गिलास दो
(2)- जहाँ शब्दों कइ दो या दो से अधिक बार आवृति की गई हो तथा उन शब्दों पर विशेष बल दिया गया हो वहाँ अल्पविराम चिन्ह का प्रयोग होता है। जैसे-
- अभी, अभी, राम घर चल गया।
- समय, समय, की बात है।
(3)- किसी व्यक्ति की बात से पहले विराम चिन्ह का प्रयोग होता है। जैसे-
- सीता ने कहा, वह कल लखनऊ जाएगी।
- टीचर ने कहा, आज हम भूगोल कइ पढ़ाई करेंगे।
(4)- अंकों या किसी संख्या को लिखने में अल्पविराम चिन्ह प्रयोग में लाए जाते है। जैसे-
- 1, 2, 5, 6,
- 100, 200, 300, 500
- 1000, 2000, 5000, 6000
(5)- लंबे वाक्य मे जब एक से अधिक वाक्यों का प्रयोग हो तब अल्पविराम चिन्ह का प्रयोग होता है। जैसे-
- मैं चाहता हु, की आप मेरे घर चलें।
- वास्तव में, आप बहुत दयावान हो।
- अच्छा, आप सुरेश हो।
- बस, यही एक उपह बाकी रह गया है।
(6)- किसी तिथि के साथ माह का नाम लिखने या सन्, शताब्दी के बाद अल्प विराम चिन्ह प्रयोग किया जाता है। जैसे-
- 15 अगस्त, सन् 1947 कॉ भारत स्वतंत्र हुआ था।
योजक चिन्ह
हिन्दी में अल्पविराम के बाद योजक चिन्ह का सर्वाधिक प्रयोग होता है। योजक चिन्ह प्रयाय दो शब्दों को जोड़ने का कार्य करता है तथा उनके अर्थ, उच्चरण तथा वर्तनी कको स्पष्ट करता है। योजक चिन्ह का प्रयोग द्वन्द्व समास में, विलोम शब्दों में, विपरीतार्थक शब्दों में, विशेषण पदों का अर्थ में प्रयोग हो, प्रेरणार्थक शब्दों में, समानार्थी शब्दों में तथा जब एक शब्द सार्थक तथा दूसरा शब्द निरर्थक हो तो वहाँ भी योजक चिन्ह का प्रयोग कीयता जाता है। जैसे-
- माता-पिता
- भाई- बहन
- भूखा-प्यासा
- नन्हा-सा
- कही- कही
- नहीं- नहीं
- दिन-रात
- सीता-राम
- बड़ा-सा
- बाहर-भीतर इत्यादि
प्रश्नवाचक चिन्ह
प्रश्नवाचक चिन्ह मुख्यतः प्रश्न पूछने या करने, व्यंग्य करने तथा जहाँ स्थिति स्पष्ट न हो आदि अवस्थाओं में किया जाता है। जैसे-
- क्या आप शहर में रहते है?
- आप शायद अपना कार्य करना भूल गए?
विस्मयादिबोधक चिन्ह
विस्मयादिबोधक चिन्ह का प्रयोग मुख्यतः जहाँ विस्मय की स्थिति हो, भय हो, घृणा हो, हर्ष आदि भावों को प्रकट करने के लिए किया जाता है। जैसे –
- वाह!
- शाबाश!
- हे राम!
- हे ईश्वर!
- हे भगवान! आदि
उद्धरण चिन्ह
उढ़द्रण चिन्ह के दो प्रकार होते है। इकहरा (‘ ‘) तथा दुहरा (” “)। उद्धरण चिन्ह का प्रयोग किसी कविता कइ पंक्ति, पुस्तक से कोई वाक्य, किसी शब्द की विशेषता, कथन, इत्यादि को व्यक्त करण के लिए किया जाता है। जैसे-
- ‘रामचरितमानस’
- “इंकलाब जिन्दाबाद”
- ‘नेता जी’
- ‘कामायनी’
- “दिल्ली चलो”
कोष्ठक चिन्ह
कोष्ठक चिन्ह तीन प्रकार के होते है। किसी विशेष शब्द या वाक्य को स्पष्ट करने के लिए कोष्ठक चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।
- बड़ा कोष्ठक – [ ]
- मझला कोष्ठक – { }
- छोटा कोष्ठक – ( )
इन्हे भी देखेँ –
हिन्दी में विराम चिन्हों की महत्वता (Viram Chinh)
भाषा से हि व्यक्तित्व कइ पहचान होती है। शिक्षित व्यक्ति से तो और भी अधिक यह आशा की जाती है की उसकी भाषा त्रुटि रहित और सुव्यवस्थित होनी चाहिए। विराम चिन्ह का सही प्रयोग कर व्यक्ति उक्त शब्द, वाक्य, वाक्यांश का सही उच्चारण एवं अर्थ प्रस्तुत कर पता है इसलिए विराम चिन्हों का ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनिवार्य है।
हिन्दी में प्रयुक्त होने वाले सभी विराम चिन्ह भाषा कइ स्पष्टता के किए बेहद महत्वपूर्ण है। हिन्दी में विराम चिन्हों का अत्यंत महत्व है। ये चिन्ह हिन्दी व्याकरण का आधार है।
